डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ढाई महीने के अंतराल के बाद, भारतीय और चीनी सेनाओं ने रविवार को कमांडर लेवल पर वार्ता की। 9वें दौर की इस वार्ता में एक बार फिर पूर्वी लद्दाख में सभी फ्रिक्शन पॉइंट से सैनिकों के डिसएंगेजमेंट को लेकर चर्चा की गई। सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चाइनीज साइड पर मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर सुबह 10 बजे हाई लेवल मिलिट्री टॉक शुरू हुई। सूत्रों ने हवाले से ये जानकारी सामने आई है।
सैन्य वार्ता का आठवां और अंतिम दौर 6 नवंबर को आयोजित किया गया था। इस दौरान दोनों पक्षों ने व्यापक रूप से स्पेसफिक फ्रिक्शन पॉइंट से सैनिकों के डिसएंगेजमेंट पर चर्चा की। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-आधारित 14 कॉर्प के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया था। इससे पहले कॉर्प्स कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी। इस दौरान चीन पेंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास कई सामरिक ऊंचाइयों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए दबाव बना रहा था।
बता दें कि लद्दाख इलाके में अभी लगभग 50,000 भारतीय सैनिक तैनात है। दोनों देशों की सेनाएं अप्रैल-मई से आमने-सामने हैं। पैंगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे।
चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। 45 साल बाद 7 सितंबर को पहला मौका था जब दोनों ही देशों के सैनिकों के बीच गोली भी चली थी। दोनों देश लंबे समय से बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।
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