डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) ने रविवार को एक केंद्रीय समिति की बैठक में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने का फैसला लिया। ‘हिमालयन टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और माधव कुमार नेपाल की कमेटी ने ओली की सदस्यता खत्म करने का फैसला किया। ओली के हालिया फैसलों को लेकर पार्टी में काफी नाराजगी थी जिसके बाद से ही उनके पार्टी से निकाले जाने के कयास लगाए जा रहे थे।
पुष्प कमल दहल और माधव कुमार नेपाल ने ओली से चिट्ठी लिख कर पूछा था कि असंवैधानिक फैसले लेने पर उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाला जाना चाहिए? लेकिन ओली न तो कमेटी के सामने पेश हुए न ही उन्होंने इसका कोई जवाब दिया। उसके बाद ये फैसला लिया गया है। पार्टी प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने कहा, ‘हमने लंबे समय तक इंतजार किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। हमारा वर्तमान फैसला पार्टी के केंद्रीय समिति के अधिकारों के अनुरूप लिया गया है।’
बता दें कि केपी शर्मा ओली ने पार्टी के भीतर चल रहे गतिरोध के बाद पिछले साल 20 दिसंबर को संविधान को ताक पर रखकर संसद भंग कर दी थी। ओली के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उनसे संसद ने इस पर जवाब मांगा था। जिसके बाद उन्होंने ये फैसला लिया था। ओली के फैसले को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भी मंजूरी दे दी थी। अब देश का सुप्रीम कोर्ट संसद भंग करने के खिलाफ दायर की गई 13 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का जन्म ओली के सीपीएन-यूएमएल और दहल की पार्टी सीपीएल (माओवादी) के विलय से हुआ था। चूंकि, दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग थी, इसलिए शुरुआत से ही यह आशंका थी कि यह एका अधिक दिनों तक कायम नहीं रह सकेगा। दो साल के भीतर ही एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टी का दो टुकड़ों में बंटना अब लगभग तय हो गया है।
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