पाकिस्तान के ननकाना साहिब में मजहबी मामले को लेकर अहमदिया समुदाय के एक डॉक्टर की हत्या कर दी गई। कत्ल का आरोप 15 साल के लड़के पर है। उसे हिरासत में लिया गया है। लड़के ने युवा डॉक्टर के घर में घुसकर उन पर ऑटोमैटिक पिस्टल से कई गोलियां दागीं। डॉक्टर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। उनके कुछ परिजन घायल हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया समुदाया को मुसलमान नहीं माना जाता। हर हुकूमत ने उनके बुनियादी अधिकार सीमित किए हैं। इन समुदाय के लोगों पर बाकी अल्पसंख्यकों की तरह अकसर हमले होते हैं।
31 साल के थे डॉक्टर ताहिर महमूद
घटना शुक्रवार शाम की है। डॉक्टर ताहिर और उनका परिवार घर में था। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। डॉक्टर ताहिर ने दरवाजा खोला तो सामने एक लड़का था। उसके हाथ में पिस्टल थी। उसने बिना कोई बात किए डॉक्टर पर कई गोलियां चलाईं। ताहिर गिर पड़े और कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। बचाव के लिए पहुंचे ताहिर के पिता और चाचा के अलावा एक बहन को भी गोलियां लगी हैं। उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
मजहबी विवाद के बाद हत्या
इलाके के पुलिस अफसर मोहम्मद शमशेर ने कहा- आरोपी को हमने फिलहाल पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। उसने माना है कि मजहबी विवाद के चलते उसने डॉक्टर तारिक की हत्या की है। हम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रह हैं कि आरोपी ने किसी के बहकावे पर डॉक्टर की हत्या की या अपनी मर्जी से इस कत्ल को अंजाम दिया। अहमदिया समुदाय ने एक बयान में कहा- अब हमारे लोग अपने घरों में महफूज नहीं हैं। क्या उन्हें कोई मजहबी अधिकार नहीं दिए जाएंगे। सरकार और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन खुलेआम कातिलों का साथ दे रहे हैं।
पाकिस्तान में 40 लाख अहमदिया
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान में करीब 40 लाख अहमदिया हैं। इन्हें संवैधानिक तौर पर भी मुस्लिम नहीं माना जाता। इन्हें मस्जिदों में जाने की इजाजत नहीं है। पिछले दिनों इस समुदाय ने अपना मुख्यालय इस्लामाबाद से लंदन शिफ्ट किया है। नवाज शरीफ सरकार के दौर में इन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए अहम पदों से हटा दिया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 40 लाख की आबादी में से महज 1200 लोग ही सरकारी नौकरी में हैं।
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